Diary Of Shayari - शायरी कि डायरी

Sunday, 28 April 2013

Dekhna hai ki tu kitni bewafa hai

  • ना पूछ मेरे सब्र की इंतेहा कहाँ तक हैं, तू सितम कर ले, तेरी हसरत जहाँ तक हैं, वफ़ा की उम्मीद, जिन्हें होगी उन्हें होगी, हमें तो देखना है,... thumbnail 1 summary

    ना पूछ मेरे सब्र की इंतेहा कहाँ तक हैं,
    तू सितम कर ले, तेरी हसरत जहाँ तक हैं,
    वफ़ा की उम्मीद, जिन्हें होगी उन्हें होगी,
    हमें तो देखना है, तू बेवफ़ा कहाँ तक हैं.

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