Diary Of Shayari - शायरी कि डायरी

Sunday, 28 April 2013

Rat gumsum hai aur mujhko hosh nahi..

  • रात गुमसुम हैं मगर चाँद खामोश नहीं, कैसे कह दूँ फिर आज मुझे होश नहीं, ऐसे डूबा तेरी आँखों के गहराई में आज, हाथ में जाम हैं,मगर पिने का हो... thumbnail 1 summary

    रात गुमसुम हैं मगर चाँद खामोश नहीं,
    कैसे कह दूँ फिर आज मुझे होश नहीं,
    ऐसे डूबा तेरी आँखों के गहराई में आज,
    हाथ में जाम हैं,मगर पिने का होश नहीं.

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