Diary Of Shayari - शायरी कि डायरी

Tuesday, 21 May 2013

खुशबू बनकर गुलों से उड़ा करते हैं

  • खुशबू बनकर  गुलों  से  उड़ा  करते  हैं, धुआं  बनकर  पर्वतों  से  उड़ा  करते  हैं, ये  कैंचियाँ  खाक  हमें  उड़ने  से  रोकेगी, हम  परों  से  ... thumbnail 1 summary

    खुशबू बनकर  गुलों  से  उड़ा  करते  हैं, धुआं  बनकर  पर्वतों  से  उड़ा  करते  हैं, ये  कैंचियाँ  खाक  हमें  उड़ने  से  रोकेगी, हम  परों  से  नहीं  हौसलों  से  उड़ा  करते  हैं

    No comments

    Post a Comment

    Get Daily Updates

    Sign-up for FREE Regular Newsletter.

    Get It