Diary Of Shayari - शायरी कि डायरी

Tuesday, 21 May 2013

हो के मायूस न यूं शाम से ढलते रहिये

  • हो के मायूस न यूं शाम से ढलते रहिये, ज़िन्दगी भोर है सूरज सा निकलते रहिये, एक ही पाँव पे ठहरोगे तो थक जाओगे, धीरे-धीरे ही सही राह पे चलते रह... thumbnail 1 summary

    हो के मायूस न यूं शाम से ढलते रहिये, ज़िन्दगी भोर है सूरज सा निकलते रहिये, एक ही पाँव पे ठहरोगे तो थक जाओगे, धीरे-धीरे ही सही राह पे चलते रहिये.

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