Diary Of Shayari - शायरी कि डायरी

Tuesday, 26 November 2013

Gulab ki khushboo

  • गुलाब की खुशबू भी फीकी लगती है, कौन सी खूशबू मुझमें बसा गई हो तुम, जिंदगी है क्या तेरी चाहत के सिवा, ये कैसा ख्वाब आंखों में दिखा गई हो त... thumbnail 1 summary

    गुलाब की खुशबू भी फीकी लगती है,
    कौन सी खूशबू मुझमें बसा गई हो तुम,
    जिंदगी है क्या तेरी चाहत के सिवा,
    ये कैसा ख्वाब आंखों में दिखा गई हो तुम...

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