Diary Of Shayari - शायरी कि डायरी

Friday, 18 March 2016

Zakhm deti hai meri khushi ke liye

  • वो जान गयी थी हमें दर्द में मुस्कराने की आदत हैं, वो रोज नया जख्म देती थी मेरी ख़ुशी के लिए… thumbnail 1 summary

    वो जान गयी थी हमें दर्द में मुस्कराने की आदत हैं,
    वो रोज नया जख्म देती थी मेरी ख़ुशी के लिए…

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