Diary Of Shayari - शायरी कि डायरी

Saturday, 15 June 2013

अब भी ताज़ा हैं जख्म सिने में

  • अब भी ताज़ा हैं जख्म सिने में बिन तेरे क्या रखा हैं जीने में, हम तो जिन्दा हैं तेरा साथ पाने को वर्ना देर नहीं लगती हैं जहर मिने में !! thumbnail 1 summary

    अब भी ताज़ा हैं जख्म सिने में
    बिन तेरे क्या रखा हैं जीने में,
    हम तो जिन्दा हैं तेरा साथ पाने को
    वर्ना देर नहीं लगती हैं जहर मिने में !!

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