Diary Of Shayari - शायरी कि डायरी

Saturday, 15 June 2013

चमन से एक बिछरा हुवा गुलाब हू...

  • चमन से एक बिछरा हुवा गुलाब हूँ मैं खुद अपनी तवाही का जवाब हूँ, यूँ निगाहें न फेरना मुझसे दर्द के बाज़ार में बिकता हुवा एक लाचार हूँ thumbnail 1 summary

    चमन से एक बिछरा हुवा गुलाब हूँ
    मैं खुद अपनी तवाही का जवाब हूँ,
    यूँ निगाहें न फेरना मुझसे
    दर्द के बाज़ार में बिकता हुवा एक लाचार हूँ

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